देहरादून। जनपद देहरादून में कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अब निजी अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों का उपचार शुरू कर दिया गया है। पटेलनगर स्थित श्री महंत इंद्रेश अस्पताल ने तो कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती करना शुरू भी कर दिया गया है।
वहीं हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट ने भी तैयारियां पूरी कर ली हैं। संभवत सोमवार से यहां कोरोना के मरीजों को भर्ती किया जाएगा। इसके अलावा नंदा की चौकी स्थित सुभारती मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी यह सुविधा शुरू होने वाली है।
गौरतलब है कि देहरादून जिले में रोजाना डेढ़ सौ से अधिक कोरोना के मरीज सामने आ रहे हैं। जिले में ऋषिकेश एम्स के अलावा एकमात्र राजकीय दून मेडिकल अस्पताल पूरी तरह से कोरोना मरीजों के लिए समर्पित है। जबकि शासन-प्रशासन ने कुछ कोविड केयर सेंटर भी बनाए हैं। जहां कम गंभीर और बिना लक्षणों वाले मरीजों को भर्ती किया जा रहा है।
प्राइवेट अस्पतालों को भी कोविड मरीजों का इलाज करने की अनुमति दे दी गई है। आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मरीजों और मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को भी कोविड मरीजों का इलाज करने की अनुमति दी है।
इसी क्रम में जौलीग्रांट स्थित हिमालयन अस्पताल और श्री महंत इंद्रेश अस्पताल, पटेलनगर में मरीजों को भर्ती करने की तैयारी की गई है। श्री महंत इंद्रेश अस्पताल ने तो कोरोना मरीजों को भर्ती करना शुरू भी कर दिया है। अस्पताल में 100 बेड का आइसोलेशन वार्ड और 25 बेड का आईसीयू अलग से आरक्षित किया गया है।
हिमालयन अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी ने बताया कि सोमवार या मंगलवार तक सभी व्यवस्थाएं पूरी करने के बाद कोरोना मरीजों को भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। वहीं, श्री महंत इंद्रेश अस्पताल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने बताया कि अस्पताल में कोविड मरीजों को भर्ती करना शुरू कर दिया गया है। इसमें केंद्र और राज्य सरकार के अलावा डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है।
देहरादून के मुख्य चिकित्सा डॉ. अनूप डिमरी ने बताया कि अधिकारी हिमालयन अस्पताल और श्री महंत इंद्रेश अस्पताल के अलावा सुभारती मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी कोरोना मरीजों के इलाज की व्यवस्था शुरू की जा रही है। इससे निश्चित तौर पर दून अस्पताल पर दबाव घटेगा और मरीजों को इसका लाभ मिलेगा।
प्रदेश में रोजाना कोरोना मरीज बढ़ने से सरकारी अस्पतालों पर उपचार का दबाव बढ़ता जा रहा है। जरूरत पड़ने पर सरकार निजी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों को कोविड इलाज के लिए अधिग्रहित कर सकती है।