मिल जाए सारे
जहाँ की दौलत
फिर भी चाहूँगी
मैं कुछ और,
एक छोटी
सी कुटिया
सरिता तट पर,
फूलों भरी बगिया
सौरव युक्त समीर,
आसमाँ में तैरते
बादलों से छनती
अंजुलि भर धूप,
और उस एकांत
सुशांत
वातावरण में
सिर्फ़ मैं,
हाँ सिर्फ़ मैं
हरी मखमली
घास पर
लेटी रहूं,
हवा मेरे बालों से
अठखेलिया करती रहे,
प्रकृति को मैं
यूँ ही
निहारती रहूं.
और जिंदगी
योहीं गुजर जाए.