आओ कोई
मधुर गीत
सुना दो आज,
सूनापन दिल
का कर दो दूर
छेड़ो कोई
मधुर रागिनी आज,
दिन का उजाला भी
दूर ना कर पाया
मन का अंधेरा,
शाम गहराई तो
डूब गया
तन मन
संपूर्ण
जैसे हो
रात का अंधेरा ,
फिर रात का ज़िक्र
ही क्या ……
आओ कोई
मधुर गीत
सुना दो आज,
सूनापन दिल
का कर दो दूर
छेड़ो कोई
मधुर रागिनी आज,