मैं ज्वाला बन के देखूँगी,
तुम बन शरद आ जाओ।
मैं दिवस बन के देखूँगा
तुम बन यथार्थ आ जाओ।
मैं यौवन बन के खोजूँगी
तुम बन जीवन आ जाओ।
मैं जीवन बन के देखूँगा,
तुम बन आशा आ जाओ।
मैं काया बन के खोजूँगी,
तुम बन आत्मा आ जाओ।
मैं पंकज बन के हसूंगा,
तुम बन सौरव मुस्काओ।
मैं रात बन के देखूँगी,
तुम बन स्वप्न छा जाओ।
मैं अम्बर बन के देखूंगा ,
तुम बन इंदु आ जाओ।
मैं नीरव बन के पथ देखूँगी,
तुम बन ज्योति छा जाओ।
मैं बादल बन के देखूँगा,
तुम बन नभ तारा आ जाओ।
तुम बन मेरे अपने,
कभी तो मेरे संग आ जाओ
कोई ऐसा रिश्ता निभा जाओ।
कुछ पल ही सही, जी लूँगी तुम्हे,
तुम बन जीवन फिर से आ जाओ ।
राधा गौरांग (राधिका)
30 अप्रैल 2020