नंदना की अपनी भाभी से बिल्कुल नहीं बनती थी, कई सालों से बोलचाल भी नहीं थी, फिर भी वो उनके बड़े बेटे की पढ़ाई के खर्चे का जिम्मा बड़ी संजीदगी से निभा रही थी1 शहर के सबसे अच्छे पब्लिक स्कूल में उसको डाला हुआ था1 बच्चा पढ़ने में अच्छा था सो लगातार नंदना की मेहनत और बच्चे की लगन से बच्चा इंटर में आ गया1
नंदना की बड़ी तमन्ना थी की बच्चा एक ही साल में इंटर पास कर ले, इसके लिए उसने जी जान लगा दी बच्चे को पढ़ने में मदद के लिए, सुबह जल्दी उठ कर बच्चे को जगाना, रात को देर तक बच्चे के संग जागना ताकि वो देर रात तक पढ़ सके और कुछ पढ़ाई में पूछना समझाना पड़े तो मदद करना आदि आदि1
खैर इंटर का इम्तिहान दिया, बच्चा अच्छे नंबरो से पास हो गया1 नंदना खुश थी की बच्चा अपनी मेहनत और उसकी मदद से पास हो गया1
ये क्या अगली सुबह नंदना की भाभी अपनी एक पड़ोसन से कह रही थी कि मैने मज़ार पे मन्नत मानी थी की मेरे बेटे को पास कर दो में तुम्हारे मज़ार पे बेटे को माथा टिकाउंगी1 नंदना माथा पकड़ के बैठ गई, साल भर रातो की नींद वो जागी और क्रेडिट मज़ार के बाबा ले गये1