आया मौसम फाग का
बहुत हुआ ये घोर चुप, अब तो कुछ बोल दो, आया मौसम फाग का, अँखियों से ही कुछ रंग घोल दो, ना लगो गले हमसे, ना सही, तिरछी नज़रों से ही देख लो, सतरंगी हो जाएगा मौसम, एक बार मुस्करा के कुछ बोल दो.
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बहुत हुआ ये घोर चुप, अब तो कुछ बोल दो, आया मौसम फाग का, अँखियों से ही कुछ रंग घोल दो, ना लगो गले हमसे, ना सही, तिरछी नज़रों से ही देख लो, सतरंगी हो जाएगा मौसम, एक बार मुस्करा के कुछ बोल दो.
Continue Readingकोई यह बात भी लिख दे मेरे फ़साने में, कि उनसे भी मेरी कहानी थी इक ज़माने में। यह बात और है कि सोया नहीं हूँ अर्सों से, लगेगा तुमको मगर इक पल सुलाने में। ग़मे जुदाई भी झेली मगर उफ्फ तक न किया, मिलेगा कौन तुम्हें मुझसा इस ज़माने में। किया है दूर उसे […]
Continue Readingतिरगी चीर के अब रौशनी आने को है, जाने क्यूँ शिकायत हमसे ज़माने को है। ना कहो कोई हमें ख़तावार लोगों, कौन सा रिश्ता अब यहाँ निभाने को है। सब कुछ तो सीख लिया तुमने अब, कौन सा हुनर बाकी तुम्हें सिखाने को है। तुम्हीं क्यूँ पूछ लो उनसे भी जा के, उनकी भी रज़ा […]
Continue Readingदेख कर भी तेरी बेवफ़ाई को नज़रों को यक़ीन नहीं होता, दिल है की कहता है, होगी कोई मजबूरी वरना आसमाँ टूट कर यूँ ज़मीं पर ना होता.
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