बहुत हुआ ये घोर चुप,
अब तो कुछ बोल दो,
आया मौसम फाग का,
अँखियों से ही कुछ रंग घोल दो,
ना लगो गले हमसे, ना सही,
तिरछी नज़रों से ही देख लो,
सतरंगी हो जाएगा मौसम,
एक बार मुस्करा के कुछ बोल दो.

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बहुत हुआ ये घोर चुप,
अब तो कुछ बोल दो,
आया मौसम फाग का,
अँखियों से ही कुछ रंग घोल दो,
ना लगो गले हमसे, ना सही,
तिरछी नज़रों से ही देख लो,
सतरंगी हो जाएगा मौसम,
एक बार मुस्करा के कुछ बोल दो.