हमसफ़र! Poems 20/09/201707/01/2018Radha GLeave a Comment on हमसफ़र! यह जिंदगी का सफ़र कितना सूना कितना नीरस, सोच रही हूँ जीवन की लंबी सूनी डगर , एकाकी कैसे चल पाउंगी इस पर, आगे घोर अंधेरा और उठा है झंझावात, किससे कहूँ मन की व्यथा मन की बात, यह जिंदगी का सफ़र, कैसा सफ़र जहाँ दर्द बन गया हमसफ़र!